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दाती कन्या भ्रूण संरक्षण दिवस पर संतों नें किया आहवान
दाती कन्या भ्रूण संरक्षण दिवस पर श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम में भव्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों; का आयोजन भी किया गया। जिसमें देश भर के संतों, महात्माओं,औë धर्माचार्यो के साथ-साथ बड़ी संख्या में मंत्रियों, राजनेताओं, समाजसेवियों, बुद्धिजिवियों मीडियाकर्मियों,शनिभक्तों और श्रद्धालुओं का शुभागमन हुआ।समारोह में पधारे सभी संतों, ने भी अपने-अपने उद्बोधन में परमहंस दाती महाराज की प्रेरणा से शनिधाम ट्रस्ट की ओर से राजस्थान और मध्यप्रदेश
समेत देश भर में कन्या भ्रूण संरक्षण एवं महिला सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की।
उन्होंने
बेटी बचाओ, बेटी
पढ़ाओ, देश
बचाओ
अभियान को
अपनाने, कन्या
भ्रूण हत्या
के खिलाफ
अभियान
चलाने और
कन्या भ्रूण
संरक्षण का
संकल्प भी
लिया। सभी
संतों ने
दाती महाराज
द्वारा
बेटियों, बहनों, माताओं
के
सम्मान हेतु
किए जा रहे
कार्यों की
प्रशंसा की।
संतों ने
दाती महाराज
की
प्रेरणा
से शनिधाम
ट्रस्ट
द्वारा
कन्या
भ्रूण
संरक्षण, महिला
सशक्तिकरण, महिला
उत्थान और
नारी सम्मान
की दिशा में
किए जा रहे
कार्यों की
तारीफ करते
हुए ह्रदय के
अंतःकरण से
उन्हें
आशीर्वाद
दिया। संतों
ने कहा कि जिस
भारत में
बेटियों को
देवी
का
दर्जा
प्राप्त है।
जहां
बेटियों को
शक्ति की
देवी
दुर्गा, धन की
देवी
लक्ष्मी और
विद्या की
देवी
सरस्वती के
रूप में पूजा
जाता है।
जहां नारी तू
नारायणी कहा
जाता है।
जहां यत्र
नार्यस्तु
पूज्यन्ते
रमन्ते तत्र
देवता:
यत्रैतास्तु
; न पूज्यन्ते
सर्वास्तत्र
;ाफला
क्रियाः।
अर्थात जहां
नारी की पूजा
होती है, वहां
देवताओं का
वास
होता है
और जिस कुल
में नारियों
की पूजा होती
है, सत्कार
होता है, उस कुल
में
दिव्यगुण, दिव्य भोग
और उत्तम
संतान होते
हैं और जिस
कुल
में
स्त्रियों
की पूजा नहीं
होती, वहां
उसकी सभी
क्रियाएं
निष्फल हैं।
उस महान देश
में कन्या
भ्रूणहत्या, कोख
में ही
कन्याओं का
कत्ल, महिलाओं
का अपमान तथा
नारियों पर
हिंसा एक
सामाजिक
कुरीति ही
नहीं, अपितु
महापाप है।
संतो
306; ने कहा कि
वैदिक काल
में कोई भी
धार्मिक
कार्य नारी
की उपस्थिति
के बगैर
प्रारंभ
नहीं होता
था। यज्ञ और
धार्मिक
प्रार्थना
में
यज्ञकर्ता
या
प्रार्थनाकर
;्ता की
अर्धांगिनी
का
होना
आवश्यक था।
नारियों को
धर्म और
राजनीति में
भी पुरुषों
से समान ही
समानता
प्राप्त थी।
नारियां वेद
पढ़ती थीं और
पढ़ाती थीं।
उसी देश में
आज आज
कन्याओं को
कोख में ही
मारा जा रहा
है। कन्याओं
का कत्ल किया
जा रहा है।
वही देश आज
नारी
अपमान, अत्याच
ार और शोषण के
अनेक
निंदनीय
कृत्यों से
ग्रस्त है।
उनमें सबसे
दुःखद कन्या
भ्रूण हत्या
से संबंधित
अमानवीयता, अनैतिक
ता तथा
क्रूरता की
वर्तमान
स्थिति बेहद
दुःखदायी
है।
संतो
306; ने कहा कि
भारत वर्ष को
आदि एवं
अनंतकाल से
धर्म प्रधान
देश,
अहिं
360;ा
एवं
अध्यात्मिकत
;ा का प्रेमी
देश और नारी
गौरव-गरिमा
का देश होने
का गौरव है।
संतों
ने
कन्या भ्रूण
हत्या को
सामाजित
कुरीति तथा
महापाप
बताया।
उन्होंने
कहा कि बेटी
अभिशाप नहीं
वरदान है।
बेटी भगवान
की नेमत है।
बेटियां
बरकत देने
वाली और
शौभाग्यशाल
68; हैं। संतों
ने कहा कि
ऋग्वेद की
ऋचाओं में
लगभग 414
ऋषियों
के नाम मिलते
हैं, जिनमें
से 30
नाम
महिला
ऋषियों के भी
हैं। इतना ही
नहीं
नारियां
धर्म,
संस्
325;ृति, कला
और साहित्य
के अलावा
युद्ध कला
में भी
पारंगत
होती
थीं और आज भी
हैं। संतों
ने कहा कि
नारी नर की
आत्मा है।
नारी नर की
आत्मा का
आधा
भाग है। नारी
के बिना नर का
जीवन अधूरा
है। इस
अधूरेपन को
दूर करने के
लिए और
संसार
को आगे चलाने
के लिए
बेटियों का
होना अत्यंत
आवश्यक है।
संतों ने कहा
कि
बेटियों
और नारियों
को पूरा
सम्मान
मिलना
चाहिए।
वैदिक युग से
नारी को देवी
का
दर्जा
प्राप्त है।
सनातन हिंदू
वैदिक धर्म
में जहां
पुरुष के रूप
में देवता और
भगवानों की
पूजा-अर्चना
होती थी,वहीं, देवी
के रूप में
माँ
सरस्वती, माँ
लक्ष्मी और
माँ दुर्गा
का वर्णन
मिलता है।
नारियां
माँ,
देवी, साध्
357;ी, गृहणी
, पत्न
368;
और बेटी के
रूप में
सम्मानित और
पूजनीय मानी
जाती थीं।
इसके
अतिरिक्त
नारियां
बहुत
विदुषी
और नियम
पूर्वक अपने
पति के साथ
मिलकर कार्य
करने वाली और
पतिव्रत
धर्म का
पालन
करने वाली
होती थीं।
पति भी पत्नी
की इच्छा और
स्वतंत्रता
का सम्मान
करता था।
परंतु बदलते
वक्त के साथ
बेटियों और
नारियों का
महत्व कम
होता गया।
बेटियों को
बेटों से कम
समझा जाने
लगा।
बेटियों को
अभिशाप समझा
जाने लगा।
बेटी की जननी
को
कोसा जाने
लगा। परंतु
लोग यह भूल गए
कि बेटी नहीं
होगी तो ये
सृष्टि नहीं
होगी।
बेटी
नहीं होगी तो
हम नहीं
होंगे। बेटी
नहीं होगी तो
यह संसार
नहीं होगा।
अतः
परमहंस
दाती महाराज
के बेटी
बचाओ,
बेटी
पढ़ाओ, देश
बचाओ अभियान
को आगे
बढ़ाना
होगा। इस
अभियान
को
हाथों-हाथ
लेना होगा।
इस अभियान को
जन-जन तक
पहुंचाना
होगा। संतों
ने एक स्वर
में दाती
महाराज की
प्रेरणा तथा
उनके
सानिध्य में
शनिधाम
ट्रस्ट
द्वारा
बेटियों को
सबल और सशक्त
बनाने के लिए
संचालित
योजनाओं की
सराहना की।
संतों ने
बेटी बचाओ -
बेटी पढ़ाओ-
देश
बचाओ
अभियान की
तारीफ करते
हुए आम लोगों
से आह्वान
किया कि वे
दाती महाराज
के इस
महा-
अभियान में
अपना पूरा
सहयोग दें।
संतों,
महात
381;माओं
और
महामंडलेश्व
;रों ने बेटी
बचाओ अभियान
को पूरे देश
में चलाने का
शंखनाद
किया।
संतों
ने कहा कि वे
देश के
प्रत्येक
नगरों,
महान
327;रों, शहरों
, कस्ब
379;ं
तथा
गांवों में
जाकर
धर्मसभाओं
के माध्यम से
इस अभियान को
लेकर
जनजागृति
लाने में
अपनी भूमिका
अदा
करेंगे।
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